इस्लाम में सुसाईड करने का क्या अंजाम है? - Suicide ka Gunaah

 

इस्लाम में सुसाईड करने का क्या अंजाम है? - Suicide ka Gunaah

Suicide in Islam in Hindi

आज के आर्टिकल में आप लम्बी ज़िन्दगी के फायदे के बारे में जानेंगे । उम्मीद है कि यह जानकारी आपको पसंद आएगी ।


दोस्तों आजकल लोग छोटी-छोटी बातों पर सुसाईड कर लेते हैं । यह उनलोगों के लिए तो कुछ नहीं है क्योंकि उन्हें मौत के बाद की ज़िंदगी पर यकीन नहीं है, लेकिन हम ईमान वालों को इस तरह की चीजों से बचना चाहिए ।

आप इसे इस तरह से समझें , अगर आपको कोई आदमी अपने घर पर दावत में नहीं बुलाता है , तो क्या आप उसके घर जाएंगे ? बिल्कुल नहीं !

जब आप बिना बुलाए अपने मेहमानों के घर भी नहीं जाते हो , तो अल्लाह तआला के घर बिना बुलाए कैसे जा सकते हैं ???


हमें हर मुश्किल वक्त में अपने दीन (इस्लाम) और अपने रब पर से ईमान नहीं खोना चाहिए । मेरे अज़ीज दोस्तों ! अल्लाह तआला बड़ा मेहरबान और निहायत ही रहमवाला है । वह अपने प्यारे और महबूब बन्दों को ही मुश्किलों में डालता है ताकि उसका इम्तिहान ले सके ।


लम्बी जिन्दगी के क्या फायदे हैं? इस्लाम में ।

आज हम आपको इसी से जुड़े कुछ रिवायात के बारे में बताएँगे जिससे आपको यकीन हो जाएगा कि उम्र का लम्बा होना कितना अफज़ल है । इसके साथ साथ ही हम आपको एक ऐसे छोटे से तस्बीह के बारे में बताएँगे जिस का बहुत बड़ा मर्तबा है ।


रिवायत 1 : रिवायत है अबू हुरैरा (रज़ि.) से कि : एक शख्स ने कहा “या रसूलुल्लाह (स.अ.व) सब लोगों में बेहतर कौन शख्स है ?

आप (स.अ.व) ने फरमाया “ जिस की उम्र ज्यादा हो और नेक अम्ल करने में गुजरे ” ।

फिर उस शख्स ने कहा “ सब लोगों में बदतर कौन है ?”

आप (स.अ.व) ने फरमाया “जिस की उम्र ज्यादा हो और बुरा काम करे । वो सबसे बदतर है ।


रिवायत 2 : रिवायत है ज़ाबिर (रज़ि.) से कि : फरमाया रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने “ तुम में सब से अच्छा वह शख्स है जिसकी उम्र सबसे ज्यादा हो और नेक अम्ल करे ।”


रिवायत 3 : रिवायत है अबू हुरैरा (रज़ि.) से कि : कबीला कज़ाआ के दो आदमी मुसलमान बन गए  और रसूलुल्लाह (स.अ.व) के हमराह ज़िहाद के लिए गए । उनमें से एक शहीद हो गया । और दूसरा एक साल जिंदा रह कर उसके बाद इंतिकाल किया । तो तल्हा बिन उबैदुल्लाह ने ख्वाब में देखा कि जन्नत का रास्ता है और पिछला आदमी शहीद होने वाले आदमी से पहले जन्नत में दाखिल हुआ । तल्हा कहते हैं कि मुझको तअज़्जुब हुआ । सुबह को नबी (स.अ.व) की खिदमत में हाज़िर हो कर मैंने उसकी वजह पूछी - “ कि शहीद से पहले जन्नत में वह क्यों दाखिल हुआ ?” , आप ने फरमाया - “क्या तुम नहीं जानते हो कि पहले आदमी के शहीद होने के बाद दूसरे आदमी ने एक महीना रमज़ान का रोज़ा रखा और साल भर में छ: हजार रिक्अत नमाज़ फर्ज़ पढ़ी और इस कदर नफ्ल नमाज़ पढ़ी । इस तरह उसकी नेकियां ज्यादा हो गईं ।


रिवायत 4 : रिवायत है तल्हा से कि नबी (स.अ.व) ने फरमाया - “ अल्लाह तआला के नज़दीक उस से अफज़ल कोई नहीं जिस ने बड़ी उम्र पाई और तमाम उम्र सुब्हानल्लाह और ला इलाहा इल्लल्लाह और अल्लाहू अकबर में गुज़ार दी ।


रिवायत 5 : रिवायत है सईद बिन ज़ुबैर (रज़ि) से कि मोमिन की ज़िन्दगी का हर दिन गनीमत है क्योंकि वह अल्लाह तआला का फर्ज़ अदा करता है ।


रिवायत 6 : रिवायत है इब्राहिम बिन अबी उबैदा से कि : मुझ को नबी स.अ.व. से ये खबर मालूम हुई है कि जब मोमिन मर जाता है और जन्नत में अपना मर्तबा देखता है तो अल्लाह तआला से तमन्ना करता है कि मुझ को दोबारा दुनिया में लौटा दिया जाए । ताकि “अल्लाहू अकबर, ला इलाहा इल्लल्लाह और सुब्हानल्लाह पढ़ सकूँ ।


इस तरह हमने छ: रिवायतें आप के सामने बयान की है, जिससे यह साबित होता है कि अल्लाह तआला की ईबादत में गुजरा हुआ वक्त जितना ज्यादा होगा वह उतना ही अफज़ल है ।


इसके साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा कि - अल्लाहू अकबर, ला इलाहा इल्लल्लाह और सुब्हानल्लाह पढ़ने का कितना बड़ा मर्तबा है ?

तो इस पर जरूर अम्ल करें । और अगर पोस्ट अच्छा लगे तो इसे अपने घरवालों, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भी जरूर शेयर करें ।


आखिरी बात

दोस्तों, उम्मीद है कि आप 'ईस्लाम में सुसाईड करना कैसा है?' इसके बारे में अच्छी तरह जान गए होंगे। यह आर्टिकल हकीकत में सुसाईड के बारे में नहीं बल्कि लंबी जिंदगी के बारे में है। इसे पढ़कर आपको एक ईबादतगुजार जिंदगी की अहमियत का अंदाजा हो गया होगा। आखिर में, aazadhindi.com में अपना वक्त देने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया !

कृप्या स्पैम ना करें। आपके कमेंट्स हमारे द्वारा Review किए जाएंगे । धन्यवाद !

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