Islam, Akhirat aur Kayamat kya hai | इस्लाम, आखिरत और कयामत की जानकारी

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

मेरे अजीज़ दोस्तों आज की ये पोस्ट गैर मुस्लिमों के साथ-साथ उनके लिए भी है जो ईमान के साथ है । आज के मुस्लिमों में ईमान बेहद कमजोर होता जा रहा है । कई लोग तो ऐसे भी हैं जो इस्लाम के बारे में अच्छे से जानते भी नहीं हैं । इसीलिए हमने चन्द खास-खास बातों को बयान किया है जिसे जानना हरेक मुसलमान के लिए बेहद जरूरी है । तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें ।


इस्लाम क्या सिखाता है ?

इस्लाम यह सिखाता है कि “खुदा एक है । वही इबादत के लायक है और हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व) अल्लाह के बन्दे और अल्लाह के रसूल हैं । इस्लाम सच्चा दीन है और कुरआन शरीफ अल्लाह तआला की किताब है । दुनिया और आखिरत की तमाम भलाइयाँ और नेक बातें इस्लाम सिखाता है ।”


इस्लाम की बुनियाद कितनी चीजों पर है ?

इस्लाम की बुनियाद पाँच चीजों पर है । वे पाँच चीजें यह हैं :-

  • कलिमा तैय्यिबा या कलिमा शहादत के मतलब को दिल से मानना और ज़ुबान से इकरार करना ।

  • नमाज पढ़ना ।

  • ज़कात देना ।

  • रमज़ान शरीफ के रोज़े रखना ।

  • हज करना ।


कलिमा तैय्यिबा क्या है ? और इसका मतलब क्या है ?

कलिमा तैय्यिबा यह है :-

“ला इलाहा इल्लल्लाहु मुहम्मदुर रसूलुल्लाह ”

इसका मतलब यह है :- “अल्लाह तआला के सिवा और कोई इबादत के लायक नहीं और हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व) खुदा के भेजे हुए रसूल हैं ।


कलिमा शहादत क्या है ? और इसका मतलब क्या है ?

कलिमा शहादत यह है :-

“ अश-हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु व अशहदु अन न मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहू ”


इसका मतलब यह है :- “ गवाही देता हूँ मैं इस बात की, कि अल्लाह तआला के सिवा कोई और इबादत के लायक नहीं है और गवाही देता हुँ मैं कि हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व) अल्लाह के बन्दे और उसके रसूल हैं ।”


नोट :- इन दोनों कलिमों का मतलब समझे बगैर सिर्फ ज़ुबान से कलिमा पढ़ने से आदमी मुसलमान नहीं होता । बल्कि इनका मतलब समझकर दिल से यकीन करना और ज़ुबान से इकरार करना ज़रूरी है। तभी कोई एक सच्चा मुसलमान हो सकता है।


अल्लाह तआला के साथ मुसलमानों को क्या अकीदे रखना चाहिए ?

  1. अल्लाह तआला सिर्फ और सिर्फ एक है ।

  2. सिर्फ एक ‘अल्लाह’ ही बन्दगी के लायक है और उसके सिवा कोई और इबादत के लायक नहीं है ।

  3. उसका कोई शरीक (साझेदार) नहीं है ।

  4. वह हर चीज को जानता है, कोई चीज उससे छुपी हुई नहीं है ।

  5. वह बड़ी ताकत और कुदरत वाला है ।

  6. उसी ने जमीन, आसमान, चाँद, सूरज, सितारे, फरिश्ते, आदमी, जिन्न, और दुनिया की सब चीजों को पैदा किया । और वही सारी दुनिया का मालिक है ।

  7. वही मारता है और वही जिलाता है । यानी मख़्लूक़ (तमाम जानदार) की जिन्दगी और मौत उसी के हुक्म से होती है ।

  8. वही सारी मख़्लूक़ को रोज़ी (रिज़्क) देता है ।

  9. वह न खाता है न पीता है, और न सोता है ।

  10. वह खुद ही हमेशा से है और हमेशा रहेगा ।

  11. उसको किसी ने पैदा नहीं किया ।

  12. न उसका बाप है, न बेटा, न बेटी, न बीवी और न ही किसी से उसका रिश्ता नाता है । वह ऐसे सभी रिश्तों से पाक है ।

  13. सब उसके मुहताज हैं लेकिन वह किसी का मुहताज नहीं ।

  14. वह बेमिसाल है, कोई भी चीज उससे मिलती जुलती नहीं, और उसके जैसा कोई नहीं है।

  15. वह सारे ऐबों (गलत चीजों) से पाक है ।

  16. वह मख़्लूक़ जैसे हाथ, पाँव, नाक, कान, और शक्ल-सूरत से पाक है ।

  17. उसने फरिश्तों को पैदा करके दुनिया के इन्तिज़ामों और खास-खास कामों पर लगा दिया है ।

  18. उसने अपने मख़्लूक़ को सीधा रास्ता दिखाने के लिए पैगंबर भेजे ताकि वे लोगों को सच्चे मज़हब (इस्लाम) का रास्ता दिखाएं । अच्छी बातें बताएं और बुरी बातों से बचाएं ।


खुदा तआला की कितनी किताबें हैं ? और कौन-कौन ?

खुदा तआला ने छोटी-बड़ी बहुत सारी किताबें पैगंबरों के ज़रिये दुनिया में उतारीं, लेकिन इस्लाम में छोटी किताबों को “सहीफ़े” कहते हैं । और बड़ी किताबों को “किताब” कहा जाता है । सहीफ़ों की सही गिनती पूरी तरह से मालूम नहीं है । लेकिन कुछ सहीफे हजरत आदम अलैहिस्सलाम ( जो दुनिया में भेजे गए पहले इन्सान हैं ) और हजरत शीश अलैहिस्सलाम पर और कुछ सहीफे हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर नाज़िल हुई । किताबें भी उतारी गई हैं ।

जिनमें से चार किताबें मशहूर हैं :-


  1. तौरेत :- तौरेत वह किताब है जो हजरत मूसा अलैहिस्सलाम पर नाज़िल हुई ।

  2. ज़बूर :- ज़बूर वह किताब है जो हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम पर नाज़िल हुई ।

  3. इन्ज़ील :- यह किताब हजरत ईसा अलैहिस्सलाम पर नाज़िल हुई ( उतारी गई ) । ईसा अलैहिस्सलाम वही पैगंबर हैं जिन्हें ईसाई धर्म के मानने वाले ईसा मसीह के नाम से जानते हैं । ईसा मसीह के बारे में कुरआन क्या कहता है यह डिटेल में जानने के लिए आप हमारी यह आर्टिकल पढ़ सकते हैं । यह बेहद ज़रूरी है ईसाई धर्म और इस्लाम को अच्छी तरह समझने के लिए ।

  4. कुरआन :- कुरआन वह किताब है जो हमारे आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व) पर नाज़िल हुई । यह किताब अल्लाह के तरफ से दुनिया में भेजा गया आखिरी कलाम है और सभी को इस किताब पर अमल करना चाहिए ।


मुसलमान कयामत से क्या समझते हैं ? कयामत क्या चीज़ है ? और यह कब आएगी ?

कयामत वह दिन है जिस दिन दुनिया के सारे आदमी और जानदारों को एकसाथ मौत दे दी जाएगी । हजरत इसराफ़िल अलैहिस्सलाम ( जो एक फरिश्ते हैं ) वो एक सूर ( एक तरह का बाजा ) फूकेंगे । उसकी आवाज इतनी सख्त और डरावनी होगी कि सदमे से (डर से) दुनिया के तमाम मख़्लूक़ मर जाएंगे ।  और सारी दुनिया मिट जाएगी । पहाड़ रूई के गोलों की तरह उड़ते फिरेंगे । सितारे टूट कर गिर पड़ेंगे । हर चीज अल्लाह के हुक्म से टूट-फूट कर मिट जाएगी ।

[ यानी दुनिया खत्म हो जाएगी । ]


कयामत कब आएगी इस बात का पूरा इल्म अल्लाह के सिवा किसी को नहीं है । लेकिन आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व) ने हमें कुछ निशानियाँ बताई थीं । और जब वे सारी निशानियाँ पुरी हो जाएँगी तब कयामत आएगी ।


Islam, Akhirat aur Kayamat kya hai | इस्लाम, आखिरत और कयामत की जानकारी

कयामत की निशानियाँ

कयामत की निशानियाँ यह हैं :-

  1. जब दुनिया में गुनाह बढ़ने लगेंगे ।

  2. लोग अपने माँ-बाप की नाफरमानियां करने लगेंगे और उन पर सख्ती करने लगेंगे ।

  3. अमानत में ख़यानत होने लगेगी ।

  4. नाच-गाना और बाजा बजाना ज्यादा होने लगेंगे ।

  5. पिछले लोग पहले के बुज़ुर्गों को बुरा कहेंगे ।

  6. अनपढ़ और कम पढ़े-लिखे लोग सरदार बन जाएँगे ।

  7. चरवाहे और अन्य निचले दर्ज़े के लोग एक-दूसरे से मुकाबला करते हुए बड़ी-बड़ी और ऊँची-ऊँची इमारतें बनाने लगेंगे ।

  8. बेटियाँ अपनी माँओं पर हुक्म चलाने लगेंगी ।

  9. दुनिया में बेपरदगी बढ़ जाएगी ।

  10. ईमान वाले लोगों (मुस्लिमों) और काफ़िरों (जो एक खुदा के सिवा किसी और को अपना रब मानते हैं ) में अंतर कर पाना मुश्किल हो जाएगा ।

  11. लोग अपना ज्यादातर वक्त गलत कामों में गुजारेंगे ।

  12. लोग ज़ाहिल को अपना इमाम और पेशवा बनाएंगे ।

  13. ज़िना करना आम हो जाएगा ।

  14. सच्चे लोगों को झूठा और झूठों को सच्चा समझा जाएगा ।

  15. दुनिया से इल्म उठा लिया जाएगा ।

दोस्तों ये कुछ निशानियाँ हैं जिनके पूरा होने पर कयामत आएगी ।


कयामत के बाद क्या होगा ?

कयामत नाज़िल होने पर आसमान के नीचे की सारी दुनिया खत्म हो जाएगी । उसके बाद हजरत ईसराफ़िल अलैहिस्सलाम दोबारा सूर फूँकेंगे जिसके बाद सभी को होश आ जाएगा । अल्लाह तआला जमीन से पहाड़-पर्वत, नदी-नाले, नहर-झील, जंगल और समुद्र सभी को उठा लेगा । पूरी जमीन को समतल कर मैदान बना दिया जाएगा । उस मैदान में सभी लोगों को जमा किया जाएगा । जानवरों का हिसाब नहीं होगा । जिसने दुनियावी जिन्दगी में कभी इस्लाम पर अम्ल नहीं किया होगा और एक अल्लाह के सिवा किसी और को अपना खुदा माना होगा वैसे लोग दुबारा जिन्दा किए जाने पर चीख मार कर कहेंगे कि

“ हाय ! हमें किसने उठा दिया ? हाय ! हमें किसने उठा दिया ? ये तो वही दिन आ गया जिसके बारे में लोग हमें बताया करते थे । यह तो वही दिन है जब कयामत के बाद हश्र का मैदान कायम होगा । हाय ! अब हमारा क्या होगा ? ”


इसके बाद वैसे लोग जिन्होंने दुनिया में एक अल्लाह की इबादत की होगी और कुरआन पर अम्ल किया होगा वैसे लोग उठकर उन्हें जवाब देंगे । वो उनसे कहेंगे कि

“हाँ ! ये वही दिन है जिस दिन का जिक्र हम दुनिया में किया करते थे । जिस दिन को हम कयामत का दिन कहा करते थे । जब हम नमाजें पढ़ते थे और अल्लाह की इबादत करते थे तो तुमलोग हमारा मज़ाक उड़ाया करते थे, लेकिन आज इस हश्र के मैदान में हमें हमारी इबादत का फल मिलेगा जबकि तुम्हें तुम्हारे शिर्क़ का फल मिलेगा ।”

दुबारा जिन्दा किये जाने पर लोग डर से परेशान होंगे । आज एक सूरज हमें दिखाई देता है जिसकी गरमी को लोग बर्दाश्त नहीं कर पाते । लेकिन उस दिन एक नहीं बल्कि सात सूरज उगाए जाएंगे और वो भी बिल्कुल नीचे । उसकी गरमी इतनी होगी जिससे तमाम इन्सान कंधों तक अपने पसीने से डूबे हुए होंगे । सभी परेशान और बेचैन होंगे । उस दिन कोई किसी को नहीं पहचानेगा । माँ-बाप अपने बेटे को नहीं , और बेटा अपनी माँ-बाप को नहीं, बीवी अपने शौहर को नहीं और शौहर अपनी बीवी को नहीं, भाई अपने भाई को नहीं, और बहन अपनी बहन को नहीं पहचानेगी । उस दिन सभी एक-दूसरे के लिए अनजान होंगे । सिर्फ एक दोस्त अपने दूसरे दोस्त को पहचानेगा । इस्लाम में दोस्त का बहुत बड़ा मर्तबा है इसीलिए अपने दोस्तों के साथ हमेशा अच्छा सलूक करना चाहिए । उस दिन सिर्फ एक दोस्त ही अपने दुसरे दोस्त को पहचान पाएगा । उस दिन सभी को उसके एक-एक काम का बदला दिया जाएगा । चाहे वो अच्छा काम होगा या बुरा काम । अच्छे काम के बदले नेकियाँ और बुरे काम के बदले गुनाह दिया जाएगा ।


उसके बाद अल्लाह का फर्श नीचे आएगा । उसके तेज आवाज से सभी बेहोश होकर गिर जाएँगे । उसके बाद सबसे पहले हमारे आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व) को होश आएगा । उसके बाद सबसे पहले पैगंबरों को कपड़े पहनाया जाएगा फिर दुसरे लोगों को भी । अल्लाह कहेगा कि जन्नत को लाया जाए !! फिर अल्लाह कहेगा कि जहन्नम को लाया जाए और फिर अल्लाह कहेगा कि पुल-शिरात बिछाया जाए !!!

फिर एक-एक करके लोगों को बुलाया जाएगा उनका हिसाब करने के लिए । जब पहला शख्स आएगा तो उसके नेकियों को तराजू के एक पलड़े में और उसके गुनाहों को एक पलड़े मे रख कर तौला जाएगा । उस दिन वह खुद गवाही नहीं देगा बल्कि उसके शरीर के अंग गवाही देंगे । अगर वह आदमी गुनाहगार होगा तो उसका -

हाथ कहेगा - “ या अल्लाह ! ये शख्स अपने हाथ से दुसरे लोगों पर जुल्म ढाता था । और मेरा इस्तेमाल गलत चीजों में करता था ।

पैर कहेगा - “या अल्लाह ! ये शख्स मुझसे गलत रास्ते पर चलता था ।

आँखे कहेंगी - “या अल्लाह ! ये शख्स मेरा इस्तेमाल गंदी चीजों को देखने में करता था । लोगों से ईर्ष्या करता था और उनके नुकसान पहुँचाता था ।

ज़बान कहेगा - “या अल्लाह ! ये आदमी दुसरों को गालियाँ देता था । लोगों से बुरा बर्ताव करता था ।


यहाँ तक की शरीर की त्वचा भी गवाही देगी । और इसी आधार पर यह तय किया जाएगा कि वह जन्नती है या जहन्नमी ?

अगर वह जन्नती होगा तो उसका नामा-आमाल दायीं तरफ से आएगा और उसके दाहिने हाथ में पकड़ा दिया जाएगा । और अगर वह जहन्नमी होगा तो उसका नामा-आमाल बायीं ओर से आएगा और उसके बाँये हाथ में पकड़ा दिया जाएगा । फिर हरेक आदमी के अच्छे और बुरे कामों को तौला जाएगा ।


जिसकी नेकियाँ बढ़ जाएँगी तो एक फरिश्ता ऐलान करेगा -

सुनो ! सुनो ! (नाम लेकर) फलां का बेटा पास हो गया । वो जीत गया वो जीत गया !

जो आदमी जन्नती होगा वह खुशी से चीखेगा और नारा लगाकर कहेगा कि मैं पास हो गया ।

ये सुन कर अल्लाह तआला उसे उसकी कामयाबी पर मुबारकबाद देंगे । उसे जन्नत का रास्ता दिखा दिया जाएगा ।


लेकिन जिसके गुनाह बढ़ जाएँगे तो एक फरिश्ता ऐलान करेगा -

 - (नाम लेकर) फलां का बेटा फेल हो गया । हाय ! वो तो हार गया, हाय ! वो हार गया !!

ये सुनकर अल्लाह अपने फरिश्तों से कहेगा कि इसको आग का लिबास पहनाया जाए । इसको आग की टोपी पहनाया जाए । इन्हें भूखे प्यासे आग में डाल दिया जाए । फरिश्ते आएँगे । उसके गले में हाथ डालकर ऐसा झटका मारा जाएगा जिससे उसकी ज़बान बाहर आ जाएगी । चोट से वह फड़फड़ाता हुआ नीचे गिरेगा । फिर वह उठेगा और फरियाद करेगा कि रहम करो ! रहम करो ! लेकिन वो लोग उससे कहेंगे कि रहमान (खुदा) ने रहम नहीं किया तो हम कैसे कर सकते हैं ? अगर वो एक औरत होगी तो उसके गले में हाथ नहीं डाला जाएगा बल्कि उसके सर के बाल पकड़ कर ऐसा झटका दिया जाएगा जिससे उसकी ज़बान बाहर निकल जाएगी । वह भी फड़फड़ाती हुई गिरेगी और उठकर फरियाद करेगी - “ रहम करो ! रहम करो ! रहम करो ! ” वो लोग उसे जवाब देंगे । वो कहेंगे - जब “रहमान” ने रहम नहीं किया तो हम कैसे करें ? इस तरह से उसे दहकती हुई जहन्नम की आग में धकेल दिया जाएगा ।


आखिरी बात

दोस्तों , मुझे उम्मीद है कि आपको ये पोस्ट जरूर पसन्द आया होगा । इसे सदका-ए-ज़ारिया की नियत से अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें क्योंकि अच्छी बात को फैलाना भी सदका है । मैं आपसे फिर मिलूंगा अगली पोस्ट में तबतक के लिए अपना और अपनों का ख्याल रखें …… अल्लाह हाफिज़ ! साथ ही साथ इसी तरह की पोस्ट की नोटिफिकेशन पाने के लिए में सोशल मीडिया पर फॉलो करना न भूलें ।

Muhammad Saif

This Article has been written by Muhammad Saif. 🙂

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