Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ka Tarika, Fazilat aur Dua Hindi

Salatul Tasbeeh Namaz Hindi 

आज के इस पोस्ट में हम आपको Salatul Tasbeeh Ki Namaz के बारे में बताएंगे जिसे लोग सलातुत तस्बीह भी कहते हैं । साथ ही साथ हम आपको इससे जुड़े Hadith, इस Namaz Ki Niayat, इसके पढ़ने का Time और इसके  Benefits यानी Fazilat भी बताएंगे । तो Salatul Tasbeeh के इस पोस्ट को आखिर तक जरूर पढ़िएगा और पसन्द आने पर अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर कीजिएगा ।


Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ka Tarika, Fazilat aur Dua Hindi

Salatul Tasbeeh Kya Hai?

‘सलात’ का मतलब नमाज होता है । और इस नमाज को तस्बीह वाली नमाज कहने का मतलब ये है कि इस नमाज में एक खास तस्बीह 300 मर्तबा पढ़ी जाती है । ये तस्बीह दूसरी नमाजों में नहीं पढ़ी जाती । इसीलिए इसे Salatul Tasbeeh Ki Namaz कहते हैं । यानी तस्बीह वाली नमाज ।



Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ki Niyat (नियत) 

सबसे पहले तो Salatul Tasbeeh नमाज की नियत करें (चार रकअत एक सलाम से) — "नियत की मैंने 4 रकअत नमाज Salatul Tasbeeh की, वास्‍ते अल्‍लाह तआला के, मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़।"


Salatul Tasbeeh Ki Niyat in Urdu 

نیت کی میں نے چار رکعت صلوٰۃ التسبیح کی، واسطے اللہ تعالیٰ کے منھ میرا کعبہ شریف  کی طرف ۔


Salatul Tasbeeh Ki Niyat in Arabic 

نَوَايْتُ اَنْ اُصَلِّىَ لِلَّهِ تَعَالَى ارْبَعَ رَكَعَاتِ صَلَوةِ التَّسْبِيْحِ سُنَّةُ رَسُوْلِ اللَّهِ تَعَالَى مُتَوَجِّهًا اِلَى جِهَةِ الْكَعْبَةِ الشَّرِيْفَةِ اَللَّهُ اَكْبَرُ


Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ka Tarika 

सबसे पहले तो आपको यह मालूम होनी चाहिए कि यह सलातुल तस्बीह (Salatul Tasbeeh) की नमाज चार रकातों की होती है । और इस नमाज के हर रकात में आपको 75 मर्तबा तस्बीह पढ़नी है । यानी कुल नमाज में आपको 300 मर्तबा तस्बीह पढ़नी है । सलातुल तस्बीह में क्या पढ़ना है यह भी आगे लिखा है ।


Salatul Tasbeeh Namaz Ki Dua 

Salatul Tasbeeh Ki Namaz में आपको जिस तस्बीह को पढ़ना है वह ये है :


“ सुब्‍हान’अल्‍लाहि वलहम्‍दु लिल्‍लाही वला-इलाहा इल्‍लल्‍लाहू वल्‍लाहु’अकबर ”

سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ



Salatul Tasbeeh Ki Namaz Padhne Ka Tarika in Hindi 

  1. सबसे पहले उपर बताए गए तरीके से नियत कीजिए ।

  2. नियत के बाद सना पढ़िए , फिर 15 मर्तबा तस्‍बीह (Tasbeeh) पढ़िए ।

  3. फिर अउज़ु बिल्‍लाही मिनश्‍शैतानिर्रज़ीम । बिस्मिल्‍लाहिर-रहमानिर-रहीम पढ़िए ।

  4. फिर सूरह फ़ातिहा पढ़िए । सूरह फातिहा के बाद कोई दूसरी सूरह पढ़िए ।

  5. सूरह पढ़ने के बाद 10 मरतबा फिर से तस्बीह पढ़िए ।

  6. अब रुकू में जाइये ।

  7. रुकू में जाकर रुकू की तस्बीह पढ़िए । उसके बाद 10 मर्तबा तस्बीह (Tasbeeh) पढ़िए ।

  8. अब समिअल्लाहू-लिमन-हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए रुकू से खड़े हो जाइये ।

  9. फिर खड़े-खड़े ही यानी कयाम में 10 मर्तबा तस्बीह पढ़िए ।

  10. अब अल्लाहू अकबर कहते हुए सज्दे में जाइये ।

  11. सज्दे में सुब्‍हान रब्बिअल आला पढ़ने के बाद 10 मर्तबा तस्बीह पढ़िए ।

  12. (सज्‍दे के दर‍मियान) जलसा में 10 मर्तबा तस्बीह पढ़िए ।

  13. दूसरी बार सज्‍दे में जाइये और सुब्‍हान रब्बिअल आला पढ़ने के बाद 10 मर्तबा तस्बीह पढ़िए ।

  14. इस तरह आपकी एक रकअत Namaz मुकम्मल हो गई । इस रक्अत में आपने कुल 75 मर्तबा तस्बीह पढ़ा । अब तकबीर कहते हुए दूसरी रक्अत के लिए खड़े हो जाइये ।

  15. दूसरी रक्अत भी इसी तरह पढ़िए । और जब दो सज्दे हो जाएं तो कअ्दा में बैठकर अत्तहिय्यात यानी तशह्हुद पढ़ें । और फिर तीसरी रक्अत के लिए खड़ें हो जाएं ।

  16. तीसरी और चौथी रक्अत भी इसी तरह पढ़ें और चौथी रक्अत के आखिरी सज्दे के बाद अत्तहिय्यात यानी तशह्हुद पढ़िए । फिर दुरूद शरीफ पढ़िए और फिर दुआ पढ़कर सलाम फेरिए ।


इस तरह कुल चार रक्अत में 75+75+75+75 = यानी कुल 300 मर्तबा तस्‍बीह पढ़ी जाएगी ।


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Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ki Surah 

Salatul Tasbeeh Ki Namaz में वैसे तो आप कोई भी सूरह पढ़ सकते हैं और ये जरूरी नहीं है कि कोई खास सूरह ही पढ़ी जाए । लेकिन पहली रकात में सूरह तकासुर, दूसरी रकात में सूरह अस्र , तीसरी रकात में सूरह काफिरून और चौथी रकात में सूरह इख्लास पढ़ना बेहतर है । और अगर ये सूरह याद न हो तो सूरह फातिहा के बाद कोई भी सूरह पढ़ सकते हैं ।


नोट : तस्बीह को ज़बान से बिल्कुल न गिनें । क्योंकि ज़बान से गिनने से नमाज टूट सकती है । अपनी हाथ की उंगलियों को दबाते हुए या पैर की उंगलियों पर नजर रखकर तस्बीह को गिनना बेहतर होगा ।


Salatul Tasbeeh Related Hadith in Hindi 

हजरत इब्न अब्बास (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने फरमाया :


"मेरे चाचा ! क्या मैं आपको एक अतिया न करूं ? क्या मैं आपको एक तोहफा और हदिया पेश न करूं ? क्या मैं आपको ऐसा अम्ल न बताऊं कि जब आप इसको करेंगे तो आपको दस फायदे हासिल होंगे । यानी अल्लाह तआला आपके अगले-पिछले, पुराने-नए, गलती से और जानबूझ कर किये गए, छोटे-बड़े, छुपकर और खुल्लमखुल्ला किये हुए सारे गुनाह माफ कर देगा । वो अम्ल ये है कि आप चार रकात Salatul Tasbeeh Ki Namaz पढ़ें ।


अगर आपसे हो सके तो रोज़ाना ये नमाज़ एक मर्तबा पढ़ा करें , अगर रोज़ाना ना हो सके तो जुमा के दिन पढ़ लिया करें , अगर ये भी ना हो सके तो महीने में एक बार पढ़ लिया करें , अगर आप ये भी ना हो सके तो साल में एक बार पढ़ लिया करें , अगर ये भी ना हो सके तो ज़िंदगी में एक बार पढ़ लिया करें ।"


नोट : आज के दौर के बड़े मुहद्दिसीन ने भी इस हदीस को ‘हसन’ कहा है :


➡ मुहद्दिस शेख नसरुद्दीन अल्बानी ने इस हदीस को ‘हसन’ कहा । “ सहीह अल तगरीब व तरहीब ”

➡ मुहद्दिस शाकिर ने भी इस हदीस को सही कहा ।

➡ मुहद्दिस शेख ज़ुबैर अली ने भी इस हदीस को ‘हसन’ कहा । (सुनन अबू दाउद)


💠 मुहद्दिसीन की राय इस हदीस के बारे में : 


1. इमाम तिर्मिज़ी कहते हैं “ ज्यादा से उलेमा में और उनमें से अब्दुल्लाह बिन मुबारक इस सलातुल तस्बीह की नमाज के कायल थे । [ Tirmidhi, Vol.2, Page.348, Hadith 481* ]


2. इमाम बैहकी कहते हैं कि ये सलातुल तस्बीह की नमाज, मुहद्दिस अब्दुल्लाह बिन मुबारक का अम्ल था । और सलाफ में भी ये अम्ल था । [ Sha’bul Imaan, Vol.1, Page.427, Ilmiyyah ]


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Salatul Tasbeeh Namaz Ki Fazilat (Benefits) 

नफ़ील नमाजों में Salatul Tasbeeh Ki Namaz की बहुत ज्यादा फजीलत बयान की गई है । इस नमाज को पढ़ने से दीन-व-दुनिया की बहुत सी बरकतें हासिल होती है । गुनाह माफ हो जाते हैं और इसके पढ़ने से रोजी में बरकत पैदा होती है । किसी मुसीबत और दुशवारी के वक्त अगर इस नमाज को पढ़ कर अल्लाह से दुआ की जाए तो वह मुसीबत इस नमाज की बरकत से दूर हो जाती है ।


Salatul Tasbeeh Reading Time 

सलातुल तस्बीह को कभी भी किसी वक्त भी पढ़ा जा सकता है लेकिन लेकिन इशराक के वक्त पढ़ना अफजल है। ज़वाल के वक्त कभी न पढ़ें ।


(ज़वाल का अर्थ : जब सूरज के निकलने और डूबने का वक्त होता है तब इस नमाज़ को ना पढ़ें । हर रोज पढ़ने वाले के लिए फज़र की नमाज के 20 मिनट गुजर जाने के बाद का वक्त इशराक का होता है उस वक्त पढ़ना अफजल है ।)


आखिरी बात

दोस्तों उम्मीद है कि आपको Salatul Tasbeeh Ki Namaz और उससे जुड़े हदीस, Namaz ki niyat, Namaz ki time और Namaz ki Fazilat (Benefits) के बारे में लिखा गया यह पोस्ट काफी पसंद आया होगा । इस पोस्ट को दूसरे लोगों तक भी फेसबुक और वाट्सएप ग्रुपों के ज़रिये शेयर जरूर कीजिएगा क्योंकि अच्छी बात को दूसरों तक पहुंचाना भी सदका-ए-ज़ारिया है । साथ ही साथ इसी तरह की पोस्ट की नोटिफिकेशन पाने के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर में फॉलो करना न भूलें।

Muhammad Saif

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