कुरआन में ईसा मसीह का उल्लेख | Jesus Christ mentioned in The Holy Quran

कुरआन में ईसा मसीह का उल्लेख

कुरआन में ईसा मसीह का उल्लेख
Jesus Christ Mentioned in The Holy Quran

इस्लाम ही एक ऐसा गैर मसीही मज़हब है जिसके मानने वालों को ईसा अलैहिस्सलाम पर ईमान लाना आवश्यक है: वह मुसलमान, मुसलमान हो ही नहीं सकता अगर वह ईसा अलैहिस्सलाम पर ईमान नही रखता। कुरआने पाक कहता है कि ईसा मसीह अल्लाह के महान पैगम्बरों में से एक थे (6:85), उनकी विलादत (पैदाइश) मोजज़ाती तौर पर हुई (19:22-23), खुदा की अनुमति से उन्होंने मुर्दों को ज़िंदा करने, पैदाइशी अंधों और कोढ़ों को शिफा बख्शने जैसे मोअजज़े (चमत्कार) ज़ाहिर किये (5:110)। हर मुसलमान को उनके नाम के साथ ‘अलैहिस्सलाम’ अवश्य जोड़ना चाहिए।


कुरआन में ईसा अलैहिस्सलाम का नाम पच्चीस बार आया है। उनका नाम कुरआन में इस तरह लिया गया है: ‘मरियम के बेटे’, ‘मसीहा’, ‘अल्लाह के पैगम्बर’, ‘अल्लाह की निशानी’, ‘अल्लाह का प्यारा ।

ये सारे सम्मानित नाम उस अज़ीम पैगम्बर के लिए बनाए गए हैं। अगर किसी रूढ़िवादी ईसाई को भी इसकी व्याख्या करने को कहा जाए तो कुरआन में एक भी ऐसी बात नहीं है जिसपर वह आपत्ति कर सकेगा।


शब्द ‘Christ’ इब्रानी भाषा के शब्द ‘messiah’ से लिया गया है, इसे अरबी में ‘मसीह’ कहते हैं जिसका अर्थ होता है मसीह मौऊद। ‘मसीह मौऊद’ के लिए यूनानी भाषा में Christos शब्द है। इसी से शब्द ‘Christ’ निकला है। ईसा मसीह, मसीह मौऊद थे या अल्लाह तआला की ओर से उन्हें यहूदियों को सीधे रास्ते पर लाने के लिए भेजा गया था? आईए, शुरू से चर्चा करते हैं —


"और जब फरिश्तों ने (मरियम से) कहा कि मरियम! खुदा ने तुमको बरगुजीदा किया है और पाक बनाया है। और दुनिया की सारी औरतों में से चुना है।"

स्रोत : पवित्र कुरान, 3:42


💠 मरियम अलैहिस्सलाम को ऐसी इज्जत बाइबिल में भी नहीं दी गई है। जबकि कुरआन पाक में तो मरियम अलैहिस्सलाम के नाम से एक पूरी सूरत मौजूद है।


"(वह वाक़िया भी याद करो) जब फ़रिश्तों ने (मरियम) से कहा ऐ मरियम ख़ुदा तुमको सिर्फ़ अपने हुक्म से एक लड़के के पैदा होने की खुशख़बरी देता है जिसका नाम ईसा मसीह इब्ने मरियम होगा (और) दुनिया और आखेरत (दोनों) में बाइज्ज़त (आबरू) और ख़ुदा के मुक़र्रब बन्दों में होगा।"

स्रोत : पवित्र कुरान, 3:45


जब खुदा की तरफ से यह खबर दी जा रही थी, (उपर आ. 3:45 में) तो मरियम अलैहिस्सलाम से कहा गया था कि उनके नवज़ात बच्चे को ईसा कहा जाएगा, जो मसीह, खुदा का एक ‘कलमा’ होगा इसके बाद यह आयत नाज़िल हुई :


"और (बचपन में) जब झूले में पड़ा होगा और बड़ी उम्र का होकर (दोनों हालतों में यकसां) लोगों से बातें करेगा और नेककारों में से होगा।

स्रोत : पवित्र कुरान, 3:46


💠 खुदा की ओर से एक नेक और इमानदार बच्चे की खबर सुन कर मरियम अलैहिस्सलाम ने कहा :

"परवरदिगार मेरे यहाँ बच्चा कैसे होगा? जबकि किसी इंसान ने मुझे हाथ तक नहीं लगाया है।"


फरिश्ते और मरियम अलैहिस्सलाम के बीच की बात-चीत को कुरआन में कुछ यूं बयान किया गया है :

“(ये सुनकर मरियम ताज्जुब से) कहने लगी, परवरदिगार मुझे लड़का क्योंकर होगा, हालांकि मुझे किसी मर्द ने छुआ तक नहीं, इरशाद हुआ कि ख़ुदा जो चाहता है करता है । जब वह किसी काम का करना ठान लेता है तो बस कह देता है 'हो जा' तो वह हो जाता है। और (ऐ मरयिम) ख़ुदा उसको (तमाम) किताबें आसमानी और अक्ल की बातें और (ख़ासकर) तौरेत व इन्जील सिखा देगा।“

स्रोत : पवित्र कुरान, 3:47-48


“फिर मरियम उस लड़के को अपनी गोद में लिए हुए अपनी क़ौम के पास आई। वह लोग देखकर कहने लगे, ऐ मरियम तुमने तो यक़ीनन बहुत बुरा काम किया। ऐ हारून की बहन ! न तो तेरा बाप बुरा आदमी था और न ही तेरी माँ बदकार थी (ये तूने क्या किया)”

स्रोत : पवित्र कुरान, 19:27-28


इस बात से यहूदी बेहद हैरान थे। ईसा की मां मरियम ने किसी दूर मकाम पर (अकेले रहना) एकांतवास कर लिया था। लेकिन उस बच्चे की पैदाइश के बाद वह लौट आईं।


💠 अब्दुल्लाह यूसुफ लिखते हैं :

“लोगों के हैरत की कोई इन्तेहा नहीं थी। वह तुरंत किसी भी मामले में उनका सोचने के लिए तैयार रहते थे। कुछ दिनों के लिए मरियम अलैहिस्सलाम अपने रिश्तेदारों से जुदा हो गई थीं, लेकिन अब वह बाहों में अपने बच्चे को लिए पूरी तेजी के साथ आ रही थीं।“


मरियम अलैहिस्सलाम ने ऐसा कैसे कर लिया? उन्होंने लोगों को कैसे समझाया? वह जानती थीं कि यह कोई साधारण बच्चा नहीं है। इसीलिए, जब लोगों ने उनसे उनके बच्चे के बारे में पूछना शुरू किया तो उन्होंने जवाब देने के बजाए बच्चे की तरफ इशारा कर दिया।

उसी वक्त अल्लाह तआला ने हजरत ईसा अलैहिस्सलाम को ज़बान दे दी और वह अपनी मां का बचाव करते हुए बोल पड़े। इसके बाद उन्होंने उन काफिर लोगों को नसीहत भी दी। 


💠 अल्लाह फरमाता है :

“तो मरियम ने उस लड़के की तरफ इशारा किया (कि जो कुछ पूछना है इससे पूछ लो), और वह लोग कहने लगे कि भला हम गोद के बच्चे से क्योंकर बात करें (29) इस पर वह बच्चा (अल्लाह की कुदरत से) बोल उठा कि मैं बेशक खुदा का बन्दा हूँ। मुझ को उसी ने किताब (इन्जील) अता फरमाई है और मुझ को नबी बनाया (30) और मै (चाहे) कहीं रहूँ मुझ को मुबारक बनाया और मुझ को जब तक ज़िन्दा रहूँ नमाज़ पढ़ने, ज़कात देने की ताकीद की है। और मुझ को अपनी वालिदा (मां) का फ़रमाबरदार बनाया है। (31) और (अलहम्दुलिल्लाह) कि मुझको सरकश नाफरमान नहीं बनाया (32) और (खुदा की तरफ़ से) जिस दिन मैं पैदा हुआ हूँ और जिस दिन मैं मरूँगा, मुझ पर सलाम है और जिस दिन (दोबारा) ज़िन्दा उठा कर खड़ा किया जाऊँगा (33)”

स्रोत : पवित्र कुरान, 19:29-33


यह ईसा अलैहिस्सलाम का पहला मोजज़ा (चमत्कार) है, जिसे कुरआन ने बयान किया कि उन्होंने इतनी कम उम्र में, मां की गोद में बात की और उनका बचाव भी किया।


(ऐ रसूल) ईमान लाने वालों का दुश्मन सबसे बढ़ के यहूदियों और मुशरिकों को पाओगे, और ईमानदारों का दोस्ती में सबसे बढ़ के क़रीब उन लोगों को पाओगे जो अपने को नसारा कहते हैं, क्योंकि इन (नसारा) में से बहुत से लोग यकीनी तौर पर आमिल और आबिद हैं और इस सबब से (भी) कि ये लोग हरगिज़ शेख़ी नहीं करते।"

स्रोत : पवित्र कुरान, 5:82


💫 कुरआन में ईसा मसीह अलैहिस्सलाम का जिक्र । लेखक : ऐमन रियाज़ 

Muhammad Saif

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