मस्जिद अल-अक्सा के बारे में 7 रोचक तथ्य जो आप शायद नहीं जानते होंगे ।
अंतर्राष्ट्रीय कुद्स दिवस के सम्मान में
आज माहे रमज़ान का आखिरी शुक्रवार है , जिसे फिलिस्तीनी अवाम 'अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स दिवस' के तौर पर मनाती है जबकि इजरायली अवाम इस दिन को यरूशलम दिवस के तौर पर मनाती है ।
इसलिए आज हम, फिलिस्तीनी शहर यरुशलम के सबसे ज्यादा मशहूर और विवादित जगह : मस्जिद अल-अक्सा के इतिहास पर एक नज़र डालते हैं ।
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नीचे हमने मस्जिद अल-अक्सा के बारे में 8 रोचक तथ्य दिए हैं जिसे आपको जरूर जानना चाहिए :
मुसलमानों का यह पहला क़िबला है ।
शाअबान का महीना वह महीना है जिसमें मुसलमानों का किब्ला अल-अक्सा मस्जिद की जानिब से हटकर पवित्र काबा की तरफ किया गया ।
अल-अक्सा मस्जिद मुससमानों के सबसे पाक जगहों में से एक है । आज के वक्त में मुसलमान काबा शरीफ की जानिब सज्दा करते हैं लेकिन पहले ऐसा नहीं था ।
किबला के तौर पर काबा शरीफ के तरफ सज्दा करने से पहले मुसलमान यरूशलम के उस जगह की जानिब सज्दा करते थे , जहां पर आज मस्जिद अल-अक्सा खड़ी है ।
इस्लाम के आखिरी पैगंबर और अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) को सूरह अल-बकरह के ज़रिये काबा शरीफ को किबला बनाने का हुक्म दिया गया था ।
यह सिर्फ एक मस्जिद नहीं है ।
अल-अक्सा मस्जिद को अक्सर एक ही इमारत के तौर पर देखा जाता है । लेकिन मस्जिद अल-अक्सा जिस बड़े क्षेत्र में खड़ी है , उसे आमतौर पर The Noble Sanctuary कहा जाता है ।
मस्जिद के चट्टान वाले गुंबद को इतिहास के पहले इस्लामी गुंबदों में से एक माना जाता है ।
मस्जिद अल-अक्सा के बारे में सोचते ही सोने की गुंबद का ख्याल शायद सबसे पहले दिमाग में आता है । कहा जाता है कि मस्जिद का डोम ऑफ द रॉक इस्लामिक वास्तुकला में इस्तेमाल किया जाने वाला पहला गुंबद है ।
पहले ज़माने में यह गुम्बद लकड़ी से बनाया गया था , जिसे बाद में सल्तनते उस्मानिया के खलीफा 'सुलेमान : द मैग्नीफिसेन्ट' ने संगमरमर के टुकड़ों और खास तरह की सोने की परत से सजवाया ।
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एक मशहूर विद्वान वहां रहते थे और उन्होंने एक बेहतरीन किताब लिखी थी ।
कहा जाता है कि अबू हामिद अल-ग़ज़ाली , जो कि एक फारसी थे , और एक मशहूर मज़हबी आलिम, इन्साफ करने वाले , और दार्शनिक भी थे । वह कुछ समय तक मस्जिद अल-अक्सा में रहते थे । उन्हें पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) के बाद तारीख के बड़े और मशहूर मुसलमानों में से एक माना जाता है ।
वहां, उन्होंने अपनी किताब इह्या उलुम अल-दीन (मज़हबी विज्ञान का पुनरुद्धार) लिखी , जिसे इस्लामी साहित्य के सबसे महान कामों में से एक माना जाता है । और मुस्लिम दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में से एक माना जाता है ।
मस्जिद का अपना किताबघर है ।
अल-अक्सा मस्जिद का एक अपना किताबघर भी है । जिसमें मौजूद किताबें फिलिस्तीन में हुए 20 वीं सदी की खास मामलात को कवर करती हैं ।
अल अक्सा मस्जिद के किताबघर को 1923 में सुप्रीम मुस्लिम विधान परिषद द्वारा बनवाया गया था । इसमें इस्लाम और अरबी एजुकेशन से जुड़ी बेशकीमती किताबें और मज़हबी तफसीरों वाली किताबों को बड़ी हिफाजत से रखा गया है ।
मुसलमानों का मानना है कि यह एक मोज़जा (चमत्कार) वाली जगह है ।
महान है वह ज़ात ! जो रात में अपने नौकर को अल-मस्जिद अल-हरम से अल-मस्जिद अल-अक्सा तक लेकर गया ।
मुसलमानों का मानना है कि पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) को "शबे मेराज" के दौरान मक्का के मस्जिद अल-हरम से मस्जिद अल-अक्सा ले जाया गया था, जिसे अल-इसरा वल-मेराज के तौर पर जाना जाता है , जो इस्लामी कैलेंडर की सबसे खास घटनाओं में से एक है ।
ऐसा कहा जाता है कि " शबे मेराज " के दौरान, पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) ने मक्का से यरुशलम तक का सफर किया , फिर जन्नत का भी सफर किया , एक जन्नती बुर्राक पर सवार होकर ।
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यह फ़लस्तीनी जंग का गवाह है, जो बार-बार के हमलों से कई बार नष्ट भी हुआ है ।
- इजरायल के कब्जे से पहले ही मस्जिद अल-अक्सा को कई बार नष्ट किया गया और फिर से बनाया गया ।
- 700 के दशक में, यरूशलम को तबाह करने वाले भूकंपों के वजह से मस्जिद पूरी तरह से नष्ट हो गई थी ।
- 1967 में जब से इजरायली सेना ने यरुशलम पर कब्जा किया है, तब से इस जगह पर कई लड़ाईयां होती रही है ।
- 1969 में, ऑस्ट्रेलियाई डेनिस माइकल रोहन ने मस्जिद के पल्पिट में आग लगा दी थी।
- 1982 में, एलन गुडमैन - एक यहूदी अमेरिकी इजरायली सैनिक - ने डोम ऑफ द रॉक में मुसलमानों पर गोलियां चला दी थी , जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और 11 घायल हो गए थे ।
- इजरायल की आर्मी ने भी कई बार इस जगह को निशाना बनाया है, लेकिन आज भी मस्जिद अल-अक्सा अपनी जगह पर खड़ी है ।