Khutba e Hajjatul Wida hindi mein - पैगंबर मुहम्मद ﷺ का आखिरी खुत्बा

खुत्बा ए हज्जतुलविदा | Khutba E Hajjatul Wida | Last Speech Of Prophet Muhammad


प्यारे नबी ﷺ ने हज्जतुलविदा के मौके पर ज़िलहिज्जा की नौ तारीख को अरफ़ात के मैदान में एक पहाड़ी पर चढ़कर अपनी उंटनी पर सवार होकर तकरीबन एक लाख चालीस हजार आदमियों के सामने अपनी उम्मत को आखिरी पैग़ाम दिया ।

इस पैग़ाम को ‘खुत्बा-ए-हज्जतुलविदा’ कहते हैं ।


इस पैग़ाम का हर फ़िकरा अपने अन्दर हजारों हिदायतें रखता है । इसीलिए हम इसको  यहां नकल कर रहे हैं । खुदा हम सब मुसलमानों को इसपर अम्ल करने की तौफीक दें । (आमीन)


“ खुत्बा ए हज्जतुलविदा ”


प्यारे नबी ﷺ ने फरमाया ---

लोगों ! मेरा ख्याल है, मैं और तुम फिर कभी इस मजलिस में इकट्ठे न होंगे । लोगों ! तुम्हारे खून, तुम्हारे माल और तुम्हारी इज्जतें एक-दूसरे पर ऐसी ही हराम हैं जैसा कि तुम आज के दिन (हज के दिन) इस शहर (मक्का), इस महीने (ज़िलहिज्जा) की हुरमत करते हो ।


लोगों ! तुम्हें अनक़रीब खुदा के सामने हाज़िर होना है । और वह तुमसे तुम्हारे आमाल के बारे में पूछेगा । ख़बरदार ! मेरे बाद गुमराह न बन जाना कि एक-दूसरे की गर्दनें काटने लगो ।


लोगों ! जाहिलियत (के ज़माने) की हर एक बात आज मेरे इन कदमों के नीचे पामाल है । जाहिलियत के क़त्लों के सब झगड़े (आज) ख़त्म करता हूँ । पहला खून जो मेरे ख़ानदान का है यानी इब्ने-रबीअा-बिन-अल-हारिस का ख़ून जो बनी-सअद के कुन्बे में दूध पीता था और जिसको हुजेल नाम के एक आदमी ने कत्ल किया था, मैं इस खून को माफ करता हूँ ।


जाहिलियत के ज़माने का सूद (हमेशा के लिए) मल्यामेट कर दिया गया । पहला सूद अपने खानदान का जो मैं मिटाता हूँ वह अब्बास-बिन-अब्दुल-मुत्तलिब का सूद है । वह सब का सब छोड़ दिया गया ।


लोगों ! अपनी बीवियों के हक में अल्लाह से डरते रहो , खुदा के नाम की जिम्मेदारी से तुमने इनको बीवी बनाया है । और खुदा के कलाम से इनका जिस्म तुम्हारे लिए हलाल हुआ । तुम्हारा हक औरतों पर इतना है कि वे तुम्हारे बिस्तर पर किसी गैर को न आने दें । इस हक में अगर वो कोताही करें तो तुम उनको इस हद तक सजा दे सकते हो कि सजा का असर उनके जिस्म पर ज़ाहिर न हो ( ताकि वह अपना सुधार कर लें और खानदान बिखरने से बच जाए ) । औरतों का हक तुमपर यह है कि तुम उनको अच्छी तरह खिलाओ और अच्छी तरह पहनाओ ।


लोगों ! मैं तुममें वह चीज छोड़ चला हूँ कि अगर तुम इसे मज़बूत पकड़े रहोगे तो कभी गुमराह न होगे । वह कुरआन है, अल्लाह की किताब ।


लोगों ! न मेरे बाद कोई नया पैग़ंबर आने वाला है और न ही कोई उम्मत पैदा होने वाली है । खूब सुन लो कि अपने परवरदिगार की इबादत करो और पांच वक्त की नमाज (वक्त पर) अदा करो । साल भर में एक महीने रमज़ान के रोज़े रखो और अपने माल की ज़कात निहायत खुशदिली से अदा करो, काबे का हज करो और अपने सरदारों और हाकिमों की इताअत करो, जिसका बदला यह है कि तुम खुदा की जन्नत में दाखिल होगे ।


लोगों ! कयामत के दिन तुमसे मेरे मुताल्ल़िक पूछा जाएगा । मुझे ज़रा बताओ कि तुम क्या जवाब दोगे ? सबने कहा कि हम इसकी गवाही देते हैं कि आप ﷺ ने अल्लाह के एहकाम हम तक पहुंचा दिए । आप ﷺ ने रसूल और नबी होने का हक अदा कर दिया । आप ﷺ ने हमको खरे और खोटे के मुताल्लिक अच्छी तरह बता दिया ।


जब लोग यह सब कह रहे थे (उस वक्त) रसूल ﷺ अपनी शहादत उंगली आसमान की तरफ उठाते थे और लोगों की तरफ झुकाते थे और फरमाते थे : ऐ खुदा ! गवाह रहना (ये सब कैसे साफ साफ इकरार कर रहे हैं) ।  ऐ खुदा ! गवाह रहना (कि तेरे बन्दे क्या कह रहे हैं ?) ।


फिर फरमाया - जो लोग यहां मौजूद हैं वे उनलोगों तक जो यहां मौजूद नहीं हैं उन तक इस (पैग़ाम) को पहुंचाएँ । मुमकिन है कि वे लोग ज़्यादा (इस पैग़ाम को) याद रखने वाले और हिफाज़त करने वाले हों जिनको तुम पहुंचाओगे ।........... Next Part Soon (Insha'allah) ❤


दोस्तों हुजूर ﷺ की आखिरी बात के मुताल्लिक आपका भी ये फर्ज़ बनता है कि इस बात को उनलोगों तक जरूर पहुंचाए जो अभी तक इससे बेखबर हैं । 

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