मौत का जिक्र करती कुरआन की 10 आयतें | Quran Verse about Death

दोस्तों , हम सब यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि मौत बरहक है । चाहे वो दुनिया का सबसे ताकतवर आदमी हो या छोटे से छोटा जानवर , हर किसी को मौत का मज़ा चखना है । ऐसे में कई मुनकिर/मुनाफिक मुसलमानों से ये सवाल करते हैं कि अगर मौत बरहक है तो ये बात कुरान से साबित करके दिखाओ । तो इसीलिए हमने कुरान पाक से कुल 10 आयतों को नीचे लिखा है , जिसमें मौत के आने की बात कही गई है । ये सारे आयात मुखतलिफ सूरतों से लिए गए हैं । साथ ही साथ हमने इन आयात का हिन्दी तर्जुमा भी लिखा है ताकि आपको समझने में आसानी हो ।

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मौत का जिक्र करती कुरआन की 10 आयतों का हिन्दी तर्जुमा

1. Surah Al-Baqarah


أَمۡ كُنتُمۡ شُہَدَآءَ إِذۡ حَضَرَ يَعۡقُوبَ ٱلۡمَوۡتُ إِذۡ قَالَ لِبَنِيهِ مَا تَعۡبُدُونَ مِنۢ بَعۡدِى قَالُواْ نَعۡبُدُ إِلَـٰهَكَ وَإِلَـٰهَ ءَابَآٮِٕكَ إِبۡرَٲهِـۧمَ

وَإِسۡمَـٰعِيلَ وَإِسۡحَـٰقَ إِلَـٰهًا وَٲحِدًا وَنَحۡنُ لَهُ ۥ مُسۡلِمُونَ


(ऐ यहूद) क्या तुम उस वक्त मौजूद थे जब याकूब के सर पर मौत आ खड़ी हुई उस वक्त उन्होंने अपने बेटों से कहा कि मेरे बाद किसी की इबादत करोगे कहने लगे हम आप के माबूद और आप के बाप दादाओं इबराहीम व इस्माइल व इसहाक़ के माबूद व यकता खुदा की इबादत करेंगे और हम उसके फरमाबरदार हैं ।


2. Surah Al-Baqarah


كُتِبَ عَلَيۡكُمۡ إِذَا حَضَرَ أَحَدَكُمُ ٱلۡمَوۡتُ إِن تَرَكَ خَيۡرًا ٱلۡوَصِيَّةُ لِلۡوَٲلِدَيۡنِ وَٱلۡأَقۡرَبِينَ بِٱلۡمَعۡرُوفِ‌   ۖ   حَقًّا عَلَى ٱلۡمُتَّقِينَ


(ऐ मुसलमानों) तुम को हुक्म दिया जाता है कि जब तुम में से किसी के सामने मौत आ खड़ी हो बशर्ते कि वह कुछ माल छोड़ जाएं तो माँ बाप और क़राबतदारों के लिए अच्छी वसीयत करें जो ख़ुदा से डरते हैं उन पर ये एक हक़ है ।


3. Surah An-Nisa


وَٱلَّـٰتِى يَأۡتِينَ ٱلۡفَـٰحِشَةَ مِن نِّسَآٮِٕڪُمۡ فَٱسۡتَشۡہِدُواْ عَلَيۡهِنَّ أَرۡبَعَةً مِّنڪُمۡ‌   ۖ   فَإِن شَہِدُواْ فَأَمۡسِكُوهُنَّ فِى ٱلۡبُيُوتِ حَتَّىٰ يَتَوَفَّٮٰهُنَّ ٱلۡمَوۡتُ أَوۡ يَجۡعَلَ ٱللَّهُ لَهُنَّ سَبِيلاً


और वह उसमें हमेशा अपना किया भुगतता रहेगा और उसके लिए बड़ी रूसवाई का अज़ाब है और तुम्हारी औरतों में से जो औरतें बदकारी करें तो उनकी बदकारी पर अपने लोगों में से चार गवाही लो और फिर अगर चारों गवाह उसकी तसदीक़ करें तो (उसकी सज़ा ये है कि) उनको घरों में बन्द रखो यहां तक कि मौत आ जाए या ख़ुदा उनकी कोई (दूसरी) राह निकाले ।

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4. Surah An-Nisa


أَيۡنَمَا تَكُونُواْ يُدۡرِككُّمُ ٱلۡمَوۡتُ وَلَوۡ كُنتُمۡ فِى بُرُوجٍ مُّشَيَّدَةٍ   ۗ   وَإِن تُصِبۡهُمۡ حَسَنَةٌ يَقُولُواْ هَـٰذِهِۦ مِنۡ عِندِ ٱللَّهِ‌   ۖ   وَإِن تُصِبۡهُمۡ سَيِّئَةٌ يَقُولُواْ هَـٰذِهِۦ مِنۡ عِندِكَ  ۚ  قُلۡ كُلٌّ مِّنۡ عِندِ ٱللَّهِ‌   ۖ   فَمَالِ هَـٰٓؤُلَآءِ ٱلۡقَوۡمِ لَا يَكَادُونَ يَفۡقَهُونَ حَدِيثًا


और वहां रेशा (बाल) बराबर भी तुम लोगों पर जुल्म नहीं किया जाएगा तुम चाहे जहां हो मौत तो तुमको ले डालेगी अगरचे तुम कैसे ही मज़बूत पक्के गुम्बदों में जा छुपो और उनको अगर कोई भलाई पहुंचती है तो कहने लगते हैं कि ये ख़ुदा की तरफ़ से है और अगर उनको कोई तकलीफ़ पहुंचती है तो (शरारत से) कहने लगते हैं कि (ऐ रसूल) ये तुम्हारी बदौलत है (ऐ रसूल) तुम कह दो कि सब ख़ुदा की तरफ़ से है पस उन लोगों को क्या हो गया है कि र्कोई बात ही नहीं समझते ।


5. Surah An-Nisa


۞ وَمَن يُہَاجِرۡ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ يَجِدۡ فِى ٱلۡأَرۡضِ مُرَٲغَمًا كَثِيرًا وَسَعَةً  ۚ  وَمَن يَخۡرُجۡ مِنۢ بَيۡتِهِۦ مُهَاجِرًا إِلَى ٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦ ثُمَّ يُدۡرِكۡهُ ٱلۡمَوۡتُ فَقَدۡ وَقَعَ أَجۡرُهُ ۥ عَلَى ٱللَّهِ   ۗ   وَكَانَ ٱللَّهُ غَفُورًا رَّحِيمًا


और जो शख्स ख़ुदा की राह में हिजरत करेगा तो वह रूए ज़मीन में बा फ़राग़त (चैन से रहने सहने के) बहुत से कुशादा मक़ाम पाएगा और जो शख्स अपने घर से जिलावतन होके ख़ुदा और उसके रसूल की तरफ़ निकल ख़ड़ा हुआ फिर उसे (मंज़िले मक़सूद) तक पहुंचने से पहले मौत आ जाए तो ख़ुदा पर उसका सवाब लाज़िम हो गया और ख़ुदा तो बड़ा बख्श ने वाला मेहरबान है ही ।

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6. Surah Al-Ma'idah


يَـٰٓأَيُّہَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ شَہَـٰدَةُ بَيۡنِكُمۡ إِذَا حَضَرَ أَحَدَكُمُ ٱلۡمَوۡتُ حِينَ ٱلۡوَصِيَّةِ ٱثۡنَانِ ذَوَا عَدۡلٍ مِّنكُمۡ أَوۡ ءَاخَرَانِ مِنۡ غَيۡرِكُمۡ إِنۡ أَنتُمۡ ضَرَبۡتُمۡ فِى ٱلۡأَرۡضِ فَأَصَـٰبَتۡكُم مُّصِيبَةُ ٱلۡمَوۡتِ  ۚ  تَحۡبِسُونَهُمَا مِنۢ بَعۡدِ ٱلصَّلَوٰةِ فَيُقۡسِمَانِ بِٱللَّهِ إِنِ ٱرۡتَبۡتُمۡ لَا نَشۡتَرِى بِهِۦ ثَمَنًا وَلَوۡ كَانَ ذَا قُرۡبَىٰ‌   ۙ وَلَا نَكۡتُمُ شَہَـٰدَةَ ٱللَّهِ إِنَّآ إِذًا لَّمِنَ ٱلۡأَثِمِينَ


ऐ ईमान वालों जब तुममें से किसी (के सर) पर मौत खड़ी हो तो वसीयत के वक्त तुम (मोमिन) में से दो आदिलों की गवाही होनी ज़रुरी है और जब तुम इत्तेफाक़न कहीं का सफर करो और (सफर ही में) तुमको मौत की मुसीबत का सामना हो तो (भी) दो गवाह ग़ैर (मोमिन) सही (और) अगर तुम्हें शक़ हो तो उन दोनों को नमाज़ के बाद रोक लो फिर वह दोनों ख़ुदा की क़सम खाएँ कि हम इस (गवाही) के (ऐवज़ कुछ दाम नहीं लेंगे अगरचे हम जिसकी गवाही देते हैं हमारा अज़ीज़ ही क्यों न) हो और हम खुदा लगती गवाही न छुपाएँगे अगर ऐसा करें तो हम बेशक गुनाहगार हैं ।


7. Surah Al-An'am


وَهُوَ ٱلۡقَاهِرُ فَوۡقَ عِبَادِهِۦ‌   ۖ   وَيُرۡسِلُ عَلَيۡكُمۡ حَفَظَةً حَتَّىٰٓ إِذَا جَآءَ أَحَدَكُمُ ٱلۡمَوۡتُ تَوَفَّتۡهُ رُسُلُنَا وَهُمۡ لَا يُفَرِّطُونَ


वह अपने बन्दों पर ग़ालिब है वह तुम लोगों पर निगेहबान (फरिश्ते तैनात करके) भेजता है यहाँ तक कि जब तुम में से किसी की मौत आए तो हमारे भेजे हुए फ़रिश्ते उसको (दुनिया से) उठा लेते हैं और वह (हमारे तामीले हुक्म में ज़रा भी) कोताही नहीं करते ।


8. Surah Ibrahim


يَتَجَرَّعُهُ  ۥ وَلَا يَڪَادُ يُسِيغُهُ  ۥ وَيَأۡتِيهِ ٱلۡمَوۡتُ مِن ڪُلِّ مَكَانٍ وَمَا هُوَ بِمَيِّتٍ‌   ۖ   وَمِن وَرَآٮِٕهِۦ عَذَابٌ غَلِيظٌ


(ज़बरदस्ती) उसे घूँट घँट करके पीना पड़ेगा और उसे हलक़ से आसानी से न उतार सकेगा और (वह मुसीबत है कि) उसे हर तरफ से मौत ही मौत आती दिखाई देती है हालांकि वह मारे न मर सकेगा-और फिर उसके पीछे सख्त अज़ाब होगा ।

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9. Surah Al-Mu'minun


حَتَّىٰٓ إِذَا جَآءَ أَحَدَهُمُ ٱلۡمَوۡتُ قَالَ رَبِّ ٱرۡجِعُونِ


(और कुफ्फ़ार तो मानेगें नहीं) यहाँ तक कि जब उनमें से किसी को मौत आयी तो कहने लगे परवरदिगार तू मुझे (एक बार) उस मुक़ाम (दुनिया) में फिर वापस भेज दे ताकि मै (अबकी दफ़ा) अच्छे अच्छे काम करूं ।


10. Surah Al-Munafiqun


وَأَنفِقُواْ مِن مَّا رَزَقۡنَـٰكُم مِّن قَبۡلِ أَن يَأۡتِىَ أَحَدَكُمُ ٱلۡمَوۡتُ فَيَقُولَ رَبِّ لَوۡلَآ أَخَّرۡتَنِىٓ إِلَىٰٓ أَجَلٍ قَرِيبٍ فَأَصَّدَّقَ وَأَكُن مِّنَ ٱلصَّـٰلِحِينَ


और हमने जो कुछ तुम्हें दिया है उसमें से क़ब्ल इसके (ख़ुदा की राह में) ख़र्च कर डालो कि तुममें से किसी की मौत आ जाए तो (इसकी नौबत न आए कि) कहने लगे कि परवरदिगार तूने मुझे थोड़ी सी मोहलत और क्यों न दी ताकि ख़ैरात करता और नेकीकारों में से हो जाता ।

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