Tayammum Ka Tarika in Hindi
दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं Tayammum Ka Tarika Hindi Mein के बारे में । युँ तो लगभग सभी मुसलमानों को तयम्मुम का पता होता है लेकिन बहुत से लोगों को यह पता नहीं होता है कि यह कब और कैसे किया जाता है ? तो आज हम आपको इसी बारे में बताने वाले हैं । आप इस पोस्ट को आखिर तक जरूर पढ़िएगा । ताकि कोई भी प्वांईंट न छूटे और आप Tayammum Ka Sahi Tarika सीख जाँए ।
दोस्तों Tayammum Ka Tarika को जानने से पहले हम यह जान लेते हैं किन हालात में तयम्मुम करना चाहिए या कब ये जायज है ? इसको जानने के लिए आपको नीचे के मसाईल को पूरा पढ़ना होगा ताकि आपको पहले इसकी जानकारी हो जाए । फिर हम अगले प्वाईंट के तरफ बढ़ेंगे ।
Tayammum किसे कहते हैं ?
पाक मिट्टी या किसी ऐसी चीज से जो मिट्टी की जात से हो जैसे - पत्थर और रेत, इनका इस्तेमाल करके बदन को नजासत हुकमिया से पाक करने को तयम्मुम (Tayammum) कहा जाता है ।
Tayammum कब जायज होता है ?
जब पानी न मिले या पानी के इस्तेमाल से बीमार हो जाने या मर्ज़ के बढ़ जाने का डर हो तब तयम्मुम (Tayammum) जायज है।
तयम्मुम में कितने फर्ज हैं ? Tayammum Ke Farz
- तयम्मुम (Tayammum) में तीन फर्ज हैं :
- नीयत करना ।
- दोनों हाथ मिट्टी पर मार कर मुँह पर फेरना ।
- दोनों हाथ मिट्टी पर मार कर दोनों हाथों को कुँहनियों समेत धोना ।
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Tayammum से जुड़े मसाईल
अगर कोई जंगल में है और बिल्कुल मालूम नहीं कि पानी कहाँ है, न वहाँ कोई आदमी ऐसा है जिससे दरियाफ्त कर सके तो ऐसे वक्त में तयम्मुम (Tayammum) कर लेना चाहिए । और अगर कोई आदमी मिल गया और उस ने एक मील सरा’अ ( 9 फरलांग 10 गज ) के अन्दर ही अन्दर पानी का पता बतला दिया और ऐसा यकीन हो रहा है कि वह आदमी सच बोल रहा है तो पानी की इस कदर तलाश करना जरूरी है जिससे उस आदमी को या उसके साथियों को किसी किस्म की कोई तकलीफ या हरज़ न हो । या कोई आदमी तो नहीं मिला लेकिन उस आदमी का दिल कह रहा है कि यहा एक मील सरा’अ ( 9 फरलांग 10 गज ) के अन्दर ही अन्दर पानी है तो पानी की तलाश करना चाहिए । बिना ढु़ंढे तयम्मुम (Tayammum) करना दुरुस्त नहीं है । और अगर खूब यकीन है कि पानी एक मील सरा’अ ( 9 फरलांग 10 गज ) के अन्दर है तो पानी लाना वाजिब है।
अगर पानी का पता चल गया लेकिन पानी एक मील सरा’अ (9 फरलांग 10 गज) से दूर है तो इतनी दूर जाके पानी लाना वाजिब नहीं है । वैसी सूरत में तयम्मुम (Tayammum) कर लेना जायज है।
अगर पानी तो मिल गया लेकिन उस पर कुदरत नहीं जैसे - रेल पर सवार है और रस्सी-डोल नहीं मिल रहा है, तो इन सब सूरतों में तयम्मुम (Tayammum) कर लेना जायज है।
अगर किसी बीमारी की वजह से पानी नुकसान करता हो या डर हो के अगर वुजू या गुस्ल करुँगा तो बीमारी बढ़ जाएगी तो तब भी तयम्मुम (Tayammum) दुरुस्त है लेकिन अगर ठण्डा पानी नुकसान करता है और गरम पानी नुकसान न करता है तो गरम पानी से वुजू या गुस्ल करना वाजिब है । और गरम पानी से नुकसान नहीं है लेकिन किसी ऐसी जगह है जहाँ गरम पानी मिलना मुश्किल है और ठण्डा पानी तो है लेकिन वो नुकसान करता है तो तयम्मुम (Tayammum) दुरुस्त है।
अगर कहीं पर इतनी ठण्ड पड़ती है कि नहाने से मर जाने या बीमार पड़ जाने का डर है और रज़ाई या लिहाफ वगैरह कोई ऐसी चीज़ भी नहीं है कि नहा कर उसमें गर्म हो जाएँगे तो ऐसी मजबूरी के वक्त भी तयम्मुम (Tayammum) कर लेना दुरुस्त है।
किसी के पास पानी तो है लेकिन वो ऐसे रास्ते पर जा रहा है जहाँ राह में पानी मिलने की उम्मीद नहीं है और रास्ते में तकलीफ और हलाकत का खौफ भी है इसलिए पानी को संभाल कर रखा है तो वैसी सूरत में वुजू न करे सिर्फ तयम्मुम (Tayammum) कर लेना भी जायज है।
इसी तरह अगर किसी के पास अपना पानी नहीं है लेकिन कोई आदमी पैसे से पानी बेच रहा है उस के पास पानी खरीदने के लिए पैसे नहीं है या पैसे तो हैं लेकिन ठीक जरुरत या किराया देने के बस पैसे बचे हैं, ज्यादा पैसे नहीं है और वह आदमी कम पैसों में पानी देने के लिए तैयार नहीं है तो वैसी सूरत में भी तयम्मुम (Tayammum) कर लेना जायज है।
तयम्मुम कैसे किया जाता है ? How To Perform Tayammum
दोस्तों अब आपने यह जान लिया कि तयम्मुम किन हालात में करना चाहिए । अब चलिए आगे बढ़ते हैं । अब हम आपको यह बताएँगे कि Tayammum Kaise Kiya Jata hai ?
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Tayammum Ka Tarika in Hindi - तयम्मुम कैसे करें
तयम्मुम (Tayammum) करने का तरीका यह है :
- पहले नीयत कीजिए कि मैं नापाकी दूर करने और/या नमाज पढ़ने के लिए Tayammum करता हूँ ।
- दोनों हाथ पाक जमीन या मिट्टी के ढेलों पर मारिए । अगर मिट्टी हाथ में ज्यादा लग जाए तो मुँह से फूंक कर कम कर लीजिए ।
- दोनों हाथों को मुँह पर इस तरह फेरिए कि कोई जगह बाकि न रह जाए । अगर एक बाल बराबर भी जगह छूट जाएगा तो तयम्मुम (Tayammum) जायज न होगा ।
- फिर दूसरी दफा जमीन पर या मिट्टी के ढेलों पर दोनों हाथ मारिए और ज्यादा मिट्टी अगर हो तो उन्हें झाड़ कर पहले हाथ की चारों उंगलियाँ सीधे हाथ की उंगलियों के सिरों के नीचे रख कर खींचते हूए कुँहनी तक ले जाइये। इस तरह ले जाने में सीधे हाथ के नीचे की तरफ फिर जाएगा ।
- फिर बांए हाथ की हथेली सीधे हाथ के उपर की तरफ कुँहनी से उंगलियों तक खींचते हुए लाइये और बांए हाथ के अंगूठे की पीठ पर फेरिए ।
- फिर इसी तरह सीधे हाथ को बांये हाथ पर फेरिए ।
- अगर औरत हो और चूड़ी या कंगन पहने हुई हो तो चूड़ी और कंगन के दरम्यान अच्छी तरह मल लीजिए ।
- उस के गुमान में नाखून बराबर भी कोई चीज छूट जावे तो तयम्मुम (Tayammum) न होगा।
- अंगूठी या छल्ला उतार डालिए कि कोई जगह छूट न जाए ।
- उँगलियों मेंं खलाल (खिलाल) कीजिए ।
- दाढ़ी का खलाल (खिलाल) करना भी सुन्नत है।
👉 जब ये चीजें हो जाए तो फिर आपका Tayammum हो गया ।
Tayammum Karne Ki Niyat in Hindi - तयम्मुम की नियत
तयम्मुम (Tayammum) करते वक्त दिल में इतना इरादा करें कि मैं पाक होने या नमाज पढ़ने के लिए तयम्मुम करता हूँ तो तयम्मुम हो जाएगा । बिना नियत करें तयम्मुम न होगा क्योंकि तयम्मुम में नियत करना जरूरी है। हालांकि ये इरादा करना कि मैं वुजू का तयम्मुम करता हूँ या गुस्ल का, यह जरूरी नहीं है। दोनों का तयम्मुम एक ही तरह किया जाता है कोई फर्क नहीं है।
ठहरिए !!! - सिर्फ तयम्मुम करने के हालात और तरीके को जान लेना काफी नहीं है । आपको इसे अच्छी तरह समझने के लिए कुछ जरूरी बातों को जानना जरूरी है ।
Tayammum से जु़ड़ी कुछ जरूरी बातें
- मिट्टी पर हाथ मार कर हाथ झाड़ लीजिए ताकि मुँह पर भभूत न लग जाए ।
- जमीन के सिवा और जो चीज मिट्टी की किस्म से है उस पर भी तयम्मुम (Tayammum) दुरुस्त है । जैसे मिट्टी, रेत, गच, पत्थर, चूना, हडताल, सूरमा, गेरू वगैरह । और जो चीज मिट्टी की किस्म से नहीं है उस से तयम्मुम दुरुस्त नहीं है । जैसे :- सोना, चाँदी, राँगा, गेँहू, लकड़ी, कपड़ा, अनाज, वगैरह । हाँ अगर इन चीजों पर गर्द और मिट्टी लगी हो तो उस वक्त अलबत्ता उन पर तयम्मुम दुरुस्त है।
- जो चीज न तो आग में जले और न गले वह चीज मिट्टी की किस्म से है और उस पर तयम्मुम दुरुस्त है। और जो चीज जल कर या गल कर राख हो जाए उस पर तयम्मुम (Tayammum) दुरुस्त नहीं है ।
- अगर पत्थर पर बिल्कुल गर्द न हो तब भी तयम्मुम दुरुस्त है । अगर पानी से खूब धुला हुआ हो तब भी तयम्मुम (Tayammum) दुरुस्त है। हाथ पर गर्द का लगना कुछ जरूरी नहीं है । इसी तरह का मसला पक्की ईंट के साथ भी है।
- अगर जमीन पर पेशाब वगैरह कोई निजासत पड़ गई और धूप से सूख गई और बदबू भी जाती रही तो वह जमीन पाक हो गई । नमाज उस पर दुरुस्त है । लेकिन अगर मालूम हो कि यह ऐसी जमीन है जिस पर पेशाब वगैरह कोई नजासत पड़ कर सूख गई है तो उस जमीन पर तयम्मुम (Tayammum) दुरुस्त नहीं है । हाँ अगर मालूम न हो तो वहम न करें ।
- जिस तरह वजू की जगह तयम्मुम दुरुस्त है ठीक उसी तरह गुस्ल की जगह भी मजबूरी के वक्त तयम्मुम (Tayammum) दुरुस्त है ।
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आखिरी बात
दोस्तों ये थी आज की हमारी पोस्ट " Tayammum Ka Tarika in Hindi " के बारे में । मुझे उम्मीद है कि आपको Tayammum की ये मालूमात पसन्द आई होगी । साथ ही आपने Tayammum Ki Niyat करना भी सीख लिया होगा । इसे अपने तमाम दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भी जरूर शेयर करें क्योंकि अच्छी बात को दूसरों तक पहुंचाना भी सदका-ए-ज़ारिया है । साथ ही साथ हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करना न भूलें । मैं आपसे फिर मिलूंगा अगली पोस्ट में , तबतक के लिए अल्लाह हाफिज़ !