आज हम आपको छोटे बच्चे के कान में अज़ान देने का तरीका , इसकी अहमियत , इसकी शुरूआत और इससे जुड़ी दूसरी मालूमात हिन्दी में बताएंगे । इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें , और पसन्द आने पर दूसरों के साथ भी जरूर शेयर करें।
Bacche Ke Kaan Me Azan Dena
Navjaat Shishu ko Azan Kaise Dein | छोटे बच्चे के कान में अज़ान कैसे दें ? | How to Do Azan for New Born Baby
Bachchon Ke Kaan Me Azan Dene Ki Shuruaat Kaise Hui ?
कहा जाता है कि हज़रत हुसैन (रज़ि.) के पैदाईश के वक्त पर उनके कानों में रसुलूल्लाह (ﷺ) ने पहली मर्तबा अज़ान दिया था । इसके अलावा उन्होंने अपने मुंह के पाक लार को भी उनके मुंह में डाला था और उनके लिए अल्लाह तआला से दुआ मांगी थी । तब से ही मुसलमान अपने बच्चों की पैदाईश पर उनके कानों में अज़ान देते हैं ।
Bachche Paida Hone Ke Baad Azan
हम मुसलमानों का यह अकीदा है कि जब किसी बच्चे की पैदाईश होती है तो उसके दुनिया में आने की ख़ुशी में और खुदा तआला की नजरे रहमत उसपर बने रहे इसीलिए घर का कोई भी एक मर्द उस बच्चे के कान में अज़ान देता है ।
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पैदा होने पर बच्चे के कान में अज़ान क्यूँ दी जाती है ?
पैदा होने वाले बच्चे के कान में अज़ान देने को लेकर दो तीन अलग-अलग हिकमतें मौजूद हैं । जैसे कि :
अल्लामा इब्ने क़य्यूम (रज़ि.) लिखते हैं कि बच्चे के कान में अज़ान और इक़ामत पढ़ने की हिकमत ये है कि इस तरह से बच्चे के कान में सबसे पहले जो आवाज़ पहुँचती है वो अज़ान की आवाज़ होती है । जिसमें अल्लाह तआला की बड़ाई और अज़मत वाले अलफ़ाज़ होते हैं और इसके ज़रिये इंसान इस्लाम में दाखिल होता है । इसके साथ ही साथ इन अल्फ़ाज़ का असर बच्चों के दिल और दिमाग पर भी पढ़ता है ।
हालांकि बच्चे इन अल्फाज़ को अभी समझ नहीं पाते हैं , लेकिन आगे चलकर जब वो इन अल्फाज़ को दुबारा सुनते हैं तो वह उन्हें आसानी से याद आ जाता है । और ये अल्फाज़ उसके जेहन में बस जाते हैं ।
चूंकि अज़ान की आवाज़ सुनकर शैतान भाग जाता है जो कि इंसान का सबसे बड़ा दुशमन है । अज़ान इसलिए भी दी जाती है कि दुनिया में क़दम रखते ही बच्चे पर सबसे पहले शैतान का क़ब्ज़ा न हो जाए ।
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पैदाइश के बाद बच्चे के कान में अज़ान दी जाती है और जब वह इस दुनिया से रुखसत हो जाता है तो उसकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई जाती है । गोया उसी तरह, जैसे आम नमाज़ों के लिए अज़ान दी जाती है और कुछ देर बाद नमाज़ पढ़ी जाती है ।
नोट : अगर घर में कोई मर्द नहीं है तो घर की कोई बड़ी उम्र वाली औरत या कोई रिश्तेदार भी इस रिवाज को निभा सकता है । लेकिन घर के मर्दों का अज़ान देना अच्छा समझा जाता है ।
बच्चे के कान में अज़ान देते वक्त इन बातों का ख्याल रखें
- अज़ान देते वक़्त अज़ान देने वाले का रूख किबला की तरफ होना चाहिए ।
- बच्चे को अपने पास इस तरह से लिटाना चाहिए जिससे उसका दाहिना कान आपके चेहरे की तरफ हो ।
- अज़ान देने वाला आदमी धीरे से उसके कानों में अज़ान दे ।
- दाहिने कान में अज़ान देने के बाद बच्चे के बायें कान को अपनी तरफ करें और उसके बायें कान में तकबीर (iqamah) पढ़ें ।
बच्चे के कान में अज़ान देने का सही तरीका
- बच्चे के कान में अज़ान देने से पहले अज़ान देने वाले का पाक होना जरूरी है , ताकि वो सच्चे दिलो-दिमाग से अल्लाह तआला को पुकार सके ।
- इसके लिए उसे अपना चेहरा, हाथ, पैर, माथा, कुंहनी और नाक को अच्छी तरह से साफ़ करना चाहिए । (पढ़ें : वुजू करने का तरीका )
- इसके बाद अज़ान देने वाले को किबला की तरफ रूख करके बैठ जाना चाहिए और अल्लाह तआला को याद करना चाहिए ।
- इसके साथ ही उसे कुछ देर शांत रहकर अपनी मन बनाना चाहिए और ये सोचना चाहिए कि वो कितने खास काम को करने जा रहा है ? इस काम का क्या मतलब है ? और ये काम उसके लिए कितना जरूरी है ?
- उस आदमी को अल्लाह तआला पर अपना यकीन बनाए रखना चाहिए ।
- इसके बाद उस बच्चे को लेकर, उसके दायें कान को अपनी तरफ करके लिटा लेना चाहिए और अपने कान पर ऊँगली रखते हुए अज़ान देनी चाहिए ।
- दायें कान में अज़ान देने के बाद बच्चे के बायें कान को अपनी तरफ करके उसे लिटा लें और उसके बाएँ कान में इकामत (iqamah) या तकबीर अदा करें ।
- इकामत (iqamah) को आजान से भी धीमी आवाज में बोलना चाहिए ।
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आखिरी बात
दोस्तों , उम्मीद है कि आपको छोटे बच्चे के कान में अज़ान देने का तरीका (Bachhe Ke Kaan Me Azan Dena) और इससे जुड़ी दूसरी मालूमात की समझ आ गई होगी । अगर आपको हमारा यह पोस्ट पसन्द आया हो , तो इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भी जरूर शेयर करें । मैं आपसे फिर मिलूंगा अगली पोस्ट में , तबतक के लिए अल्लाह हाफिज़ !